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इस चलती हुई दुनिया में कई किरदार हर पल बदलते रहते है और इसी का नाम है कि दुनिया बदस्तूर चलती रहती है………….बिना रुके बिना थके
………….पर मुझे बात करनी है
यहाँ उस किरदार कि जो आज तक अपने वजूद को तरसती है एक कानून एक न्याय कि छह में कई क़त्ल को झेलती हुई….
क्या कभी कानून आ पायेगा कि ऐसे कई दामिनिया के केस न होने पाये .क्या होता है किसी भी देश कल में कोई भी शाषक बैठ जाये …एक लड़की कि एक महिला कि एक औरत कि कहानी कभी नहीं बदलती .समाज क्यों नहीं बुलंद करता है आवाज इन सब के लिए
कितनी सर्मनाक बात है पढ़े लिखे समाज से जब कि एक लड़की को उसके प्रेम कि सजा गेंगरेप के रूप में मिलती है छि: हैम कितने पतित है अभद्र है .क्यों नहीं इन समाज के ठेकेदारो को समाज के सामने ही नंगा फांसी पर लटका दिया जाता है………………….कितनी सस्ती सोच के साथ हैम जी रहे है .उससे भी सस्ती एक औरत कि अस्मत है कि आओ और लूटकर चले जाओ………….
“यहाँ भारत का कानून बड़ा न्याय प्रिया है तुम्हे कुछ नहीं कहता ……………और अगर कहेगा भी तो बस सबूत सबूत और सबूत ………..बस फिर सब कुछ सही हो जायेगा………………..
कब होगा अंत इस वेदना का .कब बनेगा कानून कि फिर से कोई आँख भी उठाने कि हिमात नहीं कर पायेगा बुरी इरादो से …और एक लड़की महिला औरत सम्मान के साथ जियेगी आगे बढ़ेगी और वो सब करेगी जो नहीं कर पायी है…………………….लाल सिंह जी के सब्दो में ……………..यही कहना है कि “आपको बहुत फिक्र है
हमारा खून बहने की
और लहू को सम्भालने के लिए
जिन मर्त बानो का तुम जिक्र करते हो
उनको ठोकरो के साथ
लोग तोड़ डालेंगे.
शीशो में चमकना हमें मंजूर नहीं
कोई भी रंग उजाले का
कोई सपना कही का भी
किसी के रहम पर
कुछ भी हमें मंजूर नहीं…………..
तो क्या सोच बदलेगी .क्या कानून बनेगा ठोस कानून ….जिसे हम जानते है की जरुरत है…………
“””मैं अपने ब्लॉग के जरिये प्रयास रत रहूंगी की एक एक भी चेत जाये और वो समय आये की लोग सोचे नहीं कानून बन कर सामने हो…………”””
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