sushma's view
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खुश्बुओ से महकता शहर चाहिए
हमें तो खुशियों का जहर चाहिए
हमें ले जाये रोनके बहार में
न डगमगाए”सुषमा”वो लहर चाहिए
बस हो हमारी मंजिल करीब से करीब
हमें समंदर नदिया नहीं बस नहर चाहिए
रात हमारी जाने वाली है अंधियारे
हमें तो दिन चाहिए और दोपहर चाहिए
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