Menu
blogid : 761 postid : 310

आखिर क्यों?

sushma's view
sushma's view
  • 63 Posts
  • 330 Comments

DSC01143
तुमने अपने विचछेदन
मार्ग को
सवयम ही चुना है.
दोष तुम मुझको अब
दोगे मैं जानती
हु की मैंने
वह सब सुना है.
तुम
हर वक्त
कहा रहे मुझे
मालूम नहीं,
पर तुम कागजो के
दरिया से कभी
आगे बड़े नहीं.

DSC01154

सिर्फ इतना ही
विस्वास न पाना.
सचमुच मैंने
अब तक नहीं जाना.
तुम्ही ने
सिखाया
मुझे की किस तरह
टूटते है मन
किस्मत वाले
कुछ ही होते है
नहीं तो दुनिया
में सभी के
रुठते है मन उन सब के बीच मुझे
ही तुम्हारा
चुनना वास्तव में मुझे
आस्चर्य लगा था.
DSC01153
पर मैं खुश थी
तुम्हे पाने पर तब
मुझे कठिन रास्तो
का
अहसास न हुआ था
मैंने समझा
वो आकर्षण था पर
मुझे बहुत बाद
में मालूम
हुआ वो तो छलावा था
जिस तरह की
लोग चले
जाते है और फिर
कहते है वो
तो इक भुलावा था.
तो क्या
मैं भी यही
सब समझ लू.

आखिर क्यों?

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh