sushma's view
- 63 Posts
- 330 Comments
तुमने अपने विचछेदन
मार्ग को
सवयम ही चुना है.
दोष तुम मुझको अब
दोगे मैं जानती
हु की मैंने
वह सब सुना है.
तुम
हर वक्त
कहा रहे मुझे
मालूम नहीं,
पर तुम कागजो के
दरिया से कभी
आगे बड़े नहीं.
सिर्फ इतना ही
विस्वास न पाना.
सचमुच मैंने
अब तक नहीं जाना.
तुम्ही ने
सिखाया
मुझे की किस तरह
टूटते है मन
किस्मत वाले
कुछ ही होते है
नहीं तो दुनिया
में सभी के
रुठते है मन उन सब के बीच मुझे
ही तुम्हारा
चुनना वास्तव में मुझे
आस्चर्य लगा था.
पर मैं खुश थी
तुम्हे पाने पर तब
मुझे कठिन रास्तो
का
अहसास न हुआ था
मैंने समझा
वो आकर्षण था पर
मुझे बहुत बाद
में मालूम
हुआ वो तो छलावा था
जिस तरह की
लोग चले
जाते है और फिर
कहते है वो
तो इक भुलावा था.
तो क्या
मैं भी यही
सब समझ लू.
आखिर क्यों?
Read Comments