sushma's view
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मालूम नहीं है मुझे
तुम जैसे
यादो को कितनी बार देते
है जनम
कितनी जल्दी भूल जाते है
उनका मर्म.
शायद बहुत जल्दी
रहती है तुम्हे
तुम डर जाते हो
जिन्दगी से
पर मेरे दोस्त क्या
कोई भाग सका है
जिन्दगी से
जीवन ही तुम हो और तुम
ही जीवन हो
तुम सवयं पनपोगे तो
जीवन सवयं पनपेगा ही क्योकि
तुम ही जीवन हो
पहेली है
अनजान सी
जिसे तुम समझ नहीं
रहे हो पर सच बतलाना
क्या तुम्हारे पास भी
उन सभी यादो से
दूर भागने का कोई रास्ता है
यादे तो तुम्हारी
अपनी है
तुम्हारा अपना ही उनसे
वास्ता है
फिर हरेक याद को
कब तक
तुम समझते रहोगे
या
यु ही इसे जिन्दगी का
एक अहम्
हिस्सा समझ कर
पल पल बहकते रहोगे
क्या अब भी
तुम्हे डर नहीं लगता सबसे
लेकिन नहीं
तुम तो सबके साथ
जुड़ चुके हो
पर कभी झांक लेना
सवयं में
तुम याद बनकर ही
सबसे अलग
कितना टूट चुके हो
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