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अनुपमा के साथ एक ओर प्यार के किस्से ने दम तोड़ दिया है,ओर आज सारी दुनिया का फोकस गुलाटी पर है की वो क्या स्टेट मेंट देते है.हार पर बदलती उनकी सोच ओर सच के बीच झूलता उनका यक्तित्व किस किनारे लगेगा पता नहीं.पर सच यही है कि पारिवारिक रिस्तो का एक सच और आइना एक और वधु की मौत पर समाप्त हो गया है .क्या “इंसाफ” और” दर्द” के बीच बस इतना ही रिश्ता है की गुलाटी को सजा मिल जाये और अनुपमा के घरवाले हमेशा के लिए इस दर्द को बर्दास्त कर ले की क्या कोई और राह नहीं थी कि अनुपमा आज उनके बीच होती.
क्या सिर्फ इतना ही सच हम जानेगे जितना हम जान रहे है?
क्यों एक प्यार भरा रिश्ता यु सडको पर नीलम हो गया ?
क्या सारे प्रश्न यही पर समाप्त हो जाते है?
नहीं…………………………………………………
यहाँ से तो हमें शुरुवात करने की जरुरत है हम कहा है कहा जाना चाहते है और कहा जा रहे है और कहा जायेंगे.
एक रिश्ता क्यों कटुता में बदल गया?
निजी जिंदगी में भावनाओ की जड़े कैसे अलग हो जाती है.
क्यों किसी की भावनाए कही और गहरे जुड़ जाती है.
क्यों रिस्तो की पारदर्शिता खत्म हो जाती है.
क्यों एक प्यार भरा रिश्ता बदनाम हो जाता है.
यहाँ जीविका की जद्दोजहद से रिस्तो में आई इक दुरी का परिणाम इतना बुरा हो गया की दो प्यार करने वालो में से एक ने इतना बड़ा गुनाह कर दिया
देखा जाये तो जब रिस्तो की नाकामयाबी का पता घर के हरेक बन्दे को था तो क्यों जबरन एक रिश्ते को घसीटने पर मजबूर किया गया. सभी को पता होने के बावजूद क्यों अनुपमा को गुलाटी के साथ रहने के लिए बाध्य किया गया. एक मोबाइल चोरी छुपा के देना उन रिस्तो की ख़ामोशी को गहरे बयां करता है.की क्या पक रहा था फिर भी क्यों उस रिश्ते को जबरदस्ती ढोने को मजबूर किया गया. क्या मात्र एक मोबाइल से जिन्दगी बच सकती थी. उस मोबाइल का क्या फायदा उठाया गया सभी को पता है शायद कुछ टुकड़े पहले ही मिल जाते अगर ये मोबाइल से अनुपमा के घर वाले गुमराह न हुए होते.
तो क्या उस रिश्ते से मजबूरन बंधे रहकर खुद प्रताड़ित करना और दुसरे को प्रताड़ित करना ही रिश्ता निभाना है.
क्या पूरी गलती सिर्फ अनुपमा की ही है या सिर्फ गुलाटी की ही है.
एक रिश्ते को जबरदस्ती निभाना क्यों?
जब दिल साफ नहीं हो पाए झुमा से गुलाटी के रिश्ते को दिल से जब अनुपमा नहीं निकल पाई तो क्या सिर्फ रिश्ता लोगो को दिखाने के लिए बना रखा था.
या गुलाटी क्यों अनुपमा को पूरी तरह स्वीकारने के बाद भी झुमा को अपने दिल से नहीं निकल पाए ?क्यों वो लगातार खुद को और अनुपमा को धोखा देते रहे.दो बच्चो का भविष्य बर्बाद करने से पहले और उनको उनकी माँ और माँ के प्यार से मरहूम करने से पहले राजेश गुलाटी का दिल जरा भी नहीं पसीजा
. अगर हालात इतने बुरे हो गए थे तो क्यों नहीं खुद को आजाद कर लिया इस बंधन से? इतनी बेरहमी से अनुपमा का क़त्ल करने कि मानसिकता सिर्फ रिस्तो कि कमजोरी को ही बयां नहीं करती बल्कि कुछ ऐसा भी बताती है जो बहुत क्रूरता भरा हुआ है.
क्या राजेश गुलाटी मानसिक विछिप्त है,या फिर उसे अनुपमा से इतनी नफ़रत हो गयी थी कि वो आदमियत के सारे कायदे को भुला बैठा.क्या उसे इस रिश्ते को निभाना मुस्किल हो गया था .
या कि फिर राजेश गुलाटी झुमा को कभी अपने दिल से निकल ही नहीं पाया.
क्या कमजोरी कानून की नहीं है ? कानून के रवैये को कहा तक उचित माना जाये की वो रिस्तो को ढोने की पेरवी करता हुआ पाया जाता है. क्या कुछ ऐसा नहीं निकलना चाहिए की मर्यादा भी जिन्दा रहे और आदमी भी.
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