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हकीकते तो मैं बयां……………………..

sushma's view
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हकीकते तो मैं बयां करू मगर
डर है कि वो ना डर जाये.
कातिल है वो मेरा वो,जानते है हम भी
मुझे मारने आया ना खुद ही मर जाये.
हकीकते तो मैं बयां……………………..
दुहाई ना दिया करो हमें लोगो कि
नहीं है करना जो,वो ही ना कर जाये.
हकीकते तो मैं बयां……………………
शमा कि वो फिक्र थी कितनी हसीं
ना हो कि ऐसा फिर से परवाने लड़ जाये
हकीकते तो मैं बयां………………..
दहशते है हमारी दिल में इतनी पल गयी
नहीं है हिम्मत कि फिर संभल जाये.
हकीकते तो मैं बयां…………..

कैसी लगी आपको ये कविता जरुर बताइयेगा.मुझे आपकी प्रतिक्रिया का सदेव इंतजार रहेगा.

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