- 63 Posts
- 330 Comments
“शरीरमाद्यं खलुसाधनम्, धर्मार्थकाममोक्षाणामारोग्यं मूलकारणम्।”
धर्म, अर्थ , काम और मोक्ष समेत सभी सिद्धियों के लिए आरोग्यता मूल कारण है। यदि शरीर रोग ग्रस्त हो जाए तो कोई भी कार्य सुचारु ढंग से नहीं होगा। इस लिए स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना आवश्यक है। स्वस्थ रहना धर्म का अंग है।
आरोग्यता प्रतिऐक धन से बड़ा होता है.अगर आप स्वस्थ है,तो आप प्रतिऐक धन को कुछ ही पार ya so से kar sakte है.लेकिन यदि आप स्वस्थ नहीं है तो आप सब कुछ प्राप्त करके भी कुछ प्राप्त नहीं कर सकते है.
जरा विचार करे आपके pas bahut sara धन आप को कई prakar ki bimari ho or आप apne pairo से aswasth ho,तो kya आप apne us धन ka bharpur लाभ उठा पाओगे.हो ओर
जवाब hoga ,”नहीं.”
लेकिन अगर आप स्वस्थ है तो फिर आपके liye कुछ भी asambhav नहीं है.
खेलोगे कूदोगे बनोगे नवाब
padoge likhoge बनोगे नवाब
आज ये wali ukti chalegi
isliye aapko apne swathaya par pura dhayan rakhana hoga.
Read Comments