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तुलसी विवाह

sushma's view
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एक संयोग है जो आज के दिन पड़ा.जिसे हमने बड़े दुम्द्हम के साथ मनाया.आज बकरीद भी है ओर आज ही हमने तुलसी विवाह भी मनाया.अगर दो त्योहारों कि खुसिया इकट्ठी ही मिल जाये तो बात ही क्या.आज तुलसी विवाह में गन्ने यानि sugarcane काबड़ा महत्वपूर्ण योगदान है.इसके साथ ही हमेशा बड़ते रहने वाला बरगद का पेड़ का होना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है.
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तुलसी का विवाह सालिग्राम के साथ किया जाता है ओर गन्ने व् तुलसी को लाल धागे यानि मंगल सूत्र में बंद जाता है.पूजा में विस्तृत आरती होती है विष्णु जी कि तुलसी जी कि तथा मंगल गीत गाये जाते है,इसके बाद तुलसी व् शालिग्राम बाबा के फेरे करे जाते है.तत्पश्चात पूजन समाप्त करके पटाखे फोड़े जाते है.ओर बड़े बूडो का आशीर्वाद लिया जाता है.तथा वे हमें प्रसाद खाने को देते है
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.परम्पराए हमें सिखाती है क्यों हम उन परम्पराओ को मानते है.आज भी तुलसी के गुण ओर चिकित्सा में उसके अदितीय गुणों को नाकारा नहीं जा सका है.रसोई से सुरुवात होने वाली पहली दवाई ये तुलसी ही होती है.
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तुलसी द्वारा कई बिमारिओ का इलाज होता है.
ठण्ड में तुलसी के पत्तो का कदा बनाकर पिया जाता है.
इस प्रकार तुलसी के गुणों को जितनी बार याद किया जाये कम ही है.साल में कम से कम एक बार तुलसी पूजन के बहाने उसकी उपयोगिता को बताने व् याद रखने का दिन तो होता है.
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