sushma's view
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कोरे हाथो में चंद लकीरे है
मज़बूरी ओर कुछ पीरे है.
मैं समझू उस दर्द को जो
उभरी है तेरे होठ से ,
मैं समझू उस एहसास को जो
झाके है तेरे कोख से.
आये ओर न आये तो
बचपन जवानी की नीरे है.
मज़बूरी ओर कुछ पीरे है.
कोरे हाथो में चंद लकीरे है
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